बीस साल से अधर में लटकी थी दीवार, सात जिंदगी छीन ले गई
तेज बारिश के चलते गुरुवार को जब वंशकार परिवार के लोग गहरी नींद में थे, तभी दीवार ढहकर मकान पर आ गिरी और सात लोग इसमें जिंदा दफन हो गए। हादसे में जान गंवाने वाला निरंजन वंशकार को कच्चे मकान की जगह पीएम आवास स्वीकृत हुआ था, जिसे वह बनवा रहा था।
By Kuldeep Saxena
Publish Date: Fri, 13 Sep 2024 10:04:06 AM (IST)
Updated Date: Fri, 13 Sep 2024 10:04:06 AM (IST)
HighLights
- नींद में हमेशा के लिए सोता रह गया पूरा परिवार
- अभी भी किले की दीवार के पास मौके पर कई परिवार संकट में
- दीवार के नीचे का हिस्सा पूरी तरह खोखला हो गया है
नईदुनिया प्रतिनिधि, दतिया। राजगढ़ किले के पास अधर में लटकी रर यानि प्राचीन दीवार के ढह जाने से सात जिंदगियां मौत की गोद में समा गईं। दीवार के नीचे की मुरम की खुदाई लोग अपने कच्चे मकानों को संवारने के लिए करते रहे हैं। जिसके कारण दीवार के नीचे का हिस्सा पूरी तरह खोखला हो जाने से यह पिछले बीस वर्षों से अधर में लटकी हुई थी। इसकी ओर न तो प्रशासन ने कोई ध्यान दिया गया और न ही यहां रहने वाले लोग सतर्क हुए।
तेज बारिश के चलते गुरुवार को जब वंशकार परिवार के लोग गहरी नींद में थे, तभी दीवार ढहकर मकान पर आ गिरी और सात लोग इसमें जिंदा दफन हो गए। हादसे में जान गंवाने वाला निरंजन वंशकार को कच्चे मकान की जगह पीएम आवास स्वीकृत हुआ था, जिसे वह बनवा रहा था। इस दौरान निरंजन अपने बहनोई किशन और उसकी पत्नी प्रभा के साथ उनके मकान में किराए से रहने लगा था।
घटना वाले दिन निरंजन का पूरा परिवार और उसके बहन बहनोई अपने कमरों में सो रहे थे। सभी सात शवों का हाइवे स्थित सखी मुक्तिधाम में एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। इसे देख हर किसी की आंख नम थीं। अंतिम संस्कार के दौरान पूर्व गृहमंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा भी मौजूद रहे। उन्होंने घटना स्थल पर भी पहुंचकर पीड़त परिवारों को ढांढस बंधाया। वहीं घटना के बाद प्रशासन और पुलिस अधिकारीगण मौके पर पहुंचे।
जिसके बाद रेस्क्यू शुरू कराया गया। रास्ता सकरा होने के कारण जेसीबी और पोकलेन मशीन वहां नहीं पहुंच पा रही थी। ऐसे में एसडीआरएफ की टीम को बुलाया गया। जिनकी मदद से शवाें को मलबे से निकालने का काम शुरू हुआ। करीब सात घंटे चले रेस्क्यू के बाद मलबे से सात शवों को निकाल लिया गया। हादसे की खबर पर चंबल संभाग आईजी सुशांत सक्सेना भी मौके पर पहुंचे।