5 लोगों की हत्या करने के बाद थाने में किया सरेंडर, बोले- ‘अब आपदा से मुक्त हो जाएगा गांव’

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पांच लोगों की हत्‍या के बाद कोंटा मुख्यालय से दस किमी दूर स्थित इतकल गांव में बुच्चा के घर में मातम पसरा हुआ था। बुच्चा की बहन रवली और ममेरी बहन नागी रो रही थीं। गांव में पुलिस बल का पहरा था और ग्रामीणों ने अब भी इस घर से दूरी बनाए रखी थी। हत्याकांड के बाद गांव में कोई शोक प्रकट नहीं किया गया।

By Ashish Kumar Gupta

Publish Date: Mon, 16 Sep 2024 12:36:32 PM (IST)

Updated Date: Mon, 16 Sep 2024 01:24:48 PM (IST)

घटना के बाद बुच्चा की बहन रवली का रो-रोकर बुरा हाल है।

HighLights

  1. गांव के लोगों ने प्रधान आरक्षक और उनके परिवार के पांच सदस्यों की हत्या की।
  2. पिछले दो साल से हो रही मौतों की वजह से जादू-टोने के शक में की यह वारदात।
  3. अशिक्षा और अंधविश्वास के कारण लोग तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक में करते हैं विश्वास।

शहनवाज खान, नईदुनिया न्यूज। सुकमा/कोंटा। सलवा जुड़ूम आंदोलन के बाद बसे मुरलीगुड़ा पंचायत के इतकल गांव में अंधविश्वास की जड़ें इतनी गहरी थीं कि पूरा गांव ही हत्यारा बन बैठा। रविवार को इस गांव में राज्य पुलिस बल में पदस्थ प्रधान आरक्षक मौसम बुच्चा, उनके माता-पिता, पत्नी व बहन सहित पांच सदस्य की हत्या ग्रामीणों ने ही मिलकर कर दी।

रविवार की सुबह गांव के लोगों के बीच बैठक में यह तय हुआ कि इस परिवार को ही खत्म कर देना है। इसके बाद गांव के पांच युवकों को भेजकर पूरे परिवार को जान से मार डाला गया। इस दिल दहला देने वाले हत्याकांड के बाद भी ग्रामीणों के मन में किसी बात का कोई रंज नहीं है। ग्रामीण हत्या के बाद साक्ष्य के साथ समर्पण करने कोंटा थाना पहुंचे थे।

कोंटा मुख्यालय से दस किमी दूर गांव में पहुंचने के बाद बुच्चा के घर में मातम पसरा हुआ था। बुच्चा की बहन रवली व ममेरी बहन नागी दहाड़े मार कर विलाप कर रही थी। गांव में पुलिस बल का पहरा था। ग्रामीण अभी भी इस घर से दूरी बनाए हुए थे। गांव के भीतर हत्याकांड के बाद कोई शोक दिखाई नहीं दिया। ग्रामीणों को यह भरोसा था कि अब यह गांव आपदा से मुक्त हो जाएगा।naidunia_image

दो वर्ष से गांव में लगातार हो रही थी मृत्यु

इतकल में हुए दर्दनाक हत्याकांड की जड़ में अशिक्षा और अंधविश्वास कारण है। दोरला जनजाति बहुल 36 परिवार की इस बस्ती की जनसंख्या लगभग 150 है। गांव में पिछले दो वर्ष से ग्रामीणों की आकस्मिक मृत्यु हो रही थी। ग्रामीणों ने बताया कि कि दो वर्ष में लगभग 30 लोगों की बीमारी व अन्य कारण से मृत्यु हुई है। इसमें भी वर्ष 2023 में अधिकतर लोगों की मृत्यु बुधवार को और 2024 में मंगलवार के दिन हुई।

इस हत्याकांड के पहले लगातार तीन मंगलवार को गांव में लोगों की मृत्यु हुई थी। इस कारण गांव के लोगों के मन में धीरे-धीरे मृत्यु का भय बैठना शुरु हाे गया था। बुच्चा की माता बीरी गांव में वड्डे (झाड़-फूंक करने वाली) का काम करती थी। गांव में यह अफवाह फैलनी शुरु हो गई कि इस आपदा के पीछे बीरी का हाथ है। वह जादू-टोना कर लोगों को मार रही है। इस कारण से धीरे-धीरे लोगों में आक्रोश बढ़ने लगा।

शिक्षित नहीं होना बड़ा कारण

इतकल गांव के अधिकतर लोग अनपढ़ है। पूरे गांव में 25 लोग ही पढ़े-लिखे हैं। गांव में प्राथमिक स्कूल खोला गया है, पर 13 ही बच्चे पढ़ाई करने आते हैं। पूरे गांव में चार बच्चों ने दसवीं व आठ ने पांचवीं तक की पढ़ाई की है। शिक्षित नहीं होने से वे अपनी समस्या का उपचार जादू-टोने या तंत्र-मंत्र से करने पर भरोसा रखते हैं। यहीं कारण है कि गांव में बीमारी से हो रही मृत्यु के पीछे भी वे तंत्र-मंत्र को जिम्मेदार मान बैठे।



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