साल 2024: इन गुमनाम नायकों को आपने दी पहचान
क्या होता है जब आप पढ़ते हैं गुमनाम नायकों की कहानियां?
आपके प्यार ने इन गुमनाम नायकों को दी पहचान!
बबली गंभीर
जिन हाथों का लोगों ने मजाक बनाया, उन्हीं हाथों से लोगों का चेहरा संवारकर अपनी पहचान बना रही हैं मेकअप आर्टिस्ट बबली गंभीर।
अगस्त महीने में हमने द बेटर इंडिया में बबली की कहानी को प्रकाशित किया था।
जज़्बे से भरी उनकी कहानी को न सिर्फ लोगों ने पसंद किया बल्कि इससे उन्हें भी एक नई पहचान भी मिली, उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा, आप खुद ही सुन लीजिए कैसे-
हरिओम नौटियाल
अच्छी खासी शहर की नौकरी छोड़कर जब देहरादून के हरिओम नौटियाल गांव गए तो सबने उन्हें पागल कहा था। लेकिन आज वह गांव में रहकर 500 से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
यहां देखिए उनकी कहानी-
प्रेरणा से भरी उनकी कहानी को लोगों ने ढेर सारा प्यार दिया। द बेटर इंडिया हिंदी में प्रकाशित उनकी कहानी होने के बाद देश भर के लोगों ने उन्हें प्रशंसा के ढेरों कॉल्स भी किए।
Being Helper Foundation
वेस्ट प्लास्टिक की बोतल से प्लांट प्रोटेक्टर बना रही पटना के युवाओं की टीम को देश भर का प्यार मिला। वेस्ट प्लास्टिक की बोतल से प्लांट प्रोटेक्टर बना रही पटना के युवाओं की टीम एक साथ हरियाली और प्रदूषण दोनों समस्या पर काम कर रही है। उनके प्रयास को दुनिया के सामने लाने के लिए हमने अगस्त 2024 में उनकी कहानी को कवर किया था।
यहाँ देखिये उनकी कहानी-
द बेटर इंडिया में उनकी कहानी प्रकाशित होने के बाद, देश के दूसरे शहरों से भी लोगों ने उनसे मदद लेकर ऐसे प्लांट प्रोटेक्टर बनाएं।
छोटू दा
छोटू दा के फ्री स्कूल को मिली 20 हजार की मदद, आज छोटू दा अकेले, 150 बच्चों के शिक्षा की जिम्मेदारी उठा रहे हैं। पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव जंगल महल में एक छोटा-सा पार्लर चलाने वाले छोटू दा यानी स्नेहाशीष दुर्लव महीने के महज 10-15 हजार रुपये कमा पाते हैं लेकिन कई बच्चों के लिए मसीहा से कम नहीं।
उनके प्रयासों को दुनिया के सामने लाने के लिए हमने यह कहानी प्रकाशित की थी-
द बेटर इंडिया में उनकी इस कहानी के बाद उन्हें देशभर से लोगों के कॉल्स आए और करीबन 20 हजार रुपये की मदद भी मिली।
आर्थिक तंगी से जूझते हुए छोटू दा के लिए यह मदद बेहद उपयोगी थी। जिसने उनका हौसला और बढ़ा दिया। आज भी वह इसी कोशिश में लगें हैं कि गांव का कोई बच्चा सुविधाओं के अभाव में अशिक्षित न रहे।
एक कदम आगे बढ़कर उन्होंने गांव की 75 उन महिलाओं को पढ़ाने का जिम्मा उठाया है जो कभी स्कूल गयी ही नहीं।
इस नेक पहल को आगे बढ़ाने में उन्हें आज भी आपके सहयोग की जरूरत है। आपकी मदद और छोटू दा की पहल के ज़रिए कई बच्चों के जीवन में बदलाव आ सकता है।
Opportunity cafe
कोलकाता का Opportunity cafe, जिसे विशेष रूप से सक्षम युवा चलाते हैं। इस अनोखी पहल से कई Autistic और Down syndrome से जूझ रहे लोगों को एक शुरुआत करने का मौका मिला है। उनके प्रयासों को दुनिया के सामने लाने के लिए हमने The Better India Bangla पर एक कहानी प्रकाशित की थी। यहाँ देखें उनकी कहानी-
द बेटर इंडिया की कहानी के बाद, कैफ़े के Owner सिद्धांत घोष ने बताया कि कई लोग उनके कैफ़े में आ रहे हैं और अब वे मुनाफे में हैं। उन्हें कई ऐसे माता-पिता के फोन आए जिनके बच्चे विशेष रूप से सक्षम हैं और वे वहां काम करना चाहते हैं।
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