काम की खबर: बच्चों को बस्ते के बोझ से मिलेगी मुक्ति, कवर्धा के सरकारी स्कूल में हर टेबल पर उपलब्ध होगी बुक

काम की खबर: बच्चों को बस्ते के बोझ से मिलेगी मुक्ति, कवर्धा के सरकारी स्कूल में हर टेबल पर उपलब्ध होगी बुक

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स्कूल में पास हो चुके छात्रों से निशुल्क पुस्तकों को लेकर नए छात्र-छात्राओं को उपलब्ध कराई जाती है। ऐसे में नए विद्यार्थियों के लिए स्कूल और घर दोनों जगह पढ़ाई के लिए अलग-अलग पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। इस अनोखी पहल को सफल बनाने में शिक्षकों का भी महत्वपूर्ण योगदान है।

By Sandeep Chourey

Publish Date: Fri, 14 Jun 2024 09:55:09 PM (IST)

Updated Date: Fri, 14 Jun 2024 09:55:09 PM (IST)

काम की खबर: बच्चों को बस्ते के बोझ से मिलेगी मुक्ति, कवर्धा के सरकारी स्कूल में हर टेबल पर उपलब्ध होगी बुक
बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ है।

HighLights

  1. कवर्धा के शासकीय हाई स्कूल छिरहा में अनोखी पहल
  2. अब बच्चे केवल कापी और पेन लेकर स्कूल आते हैं
  3. बच्चों को बस्ते के भारी बोझ से मिल है छुटकारा

नईदुनिया न्यूज, कवर्धा । आज के दौर में शिक्षा का महत्व दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही स्कूली बच्चों पर पढ़ाई का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। बच्चों को भारी बस्ते ढोते हुए स्कूल जाते देखना एक आम दृश्य बन गया है। हालांकि कवर्धा ब्लाक स्थित शासकीय हाई स्कूल छिरहा ने इस समस्या का एक अनूठा समाधान ढूंढ निकाला है, जिसने न केवल बच्चों की पीठ का बोझ हल्का किया है, बल्कि उनकी शिक्षा को भी प्रभावी और सरल बना दिया है। जिससे विद्यालय में अब बच्चे केवल एक कापी और पेन लेकर ही स्कूल आते हैं।

हर टेबल पर मिलती है पुस्तकें

इस व्यवस्था के तहत जिसमें कक्षा के प्रत्येक टेबल पर सभी विषयों की पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं। स्वतंत्र और तनावमुक्त होकर पढ़ाई कर सकें। इस अनोखी पहल की शुरुआत विद्यालय के प्राचार्य और गणित व्याख्याता डॉ रमेश कुमार चन्द्रवंशी ने 5 सितंबर 2019 को शिक्षक दिवस और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जयंती के अवसर पर की थी।

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डॉ. चन्द्रवंशी का मानना है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि बच्चों को एक ऐसा वातावरण उपलब्ध कराना भी है, जहां वे स्वतंत्र और तनावमुक्त होकर पढ़ाई कर सकें। इसी सोच को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह व्यवस्था शुरू की गई थी। इससे बच्चों का शारीरिक बोझ कम हो गया है और वे अब हल्के मन से स्कूल आते हैं। शासकीय हाई स्कूल छिरहा की इस पहल ने दिखा दिया है कि छोटे-छोटे बदलाव किस तरह बड़े प्रभाव डाल सकते हैं।

ऐसे की पुस्तकों की व्यवस्था

पुस्तकों की व्यवस्था के लिए उत्तीर्ण विद्यार्थियों से निशुल्क के तौर पर पुस्तकों को वापस लेकर की जाती है। इस प्रकार, नए विद्यार्थियों के लिए स्कूल और घर दोनों जगह पढ़ाई के लिए अलग-अलग पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। इससे बच्चों को घर पर भी स्वतंत्र रूप से अध्ययन करने की सुविधा मिलती है। इस पहल को सफल बनाने में शिक्षकों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। वे बच्चों को पढ़ाई के दौरान मार्गदर्शन करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि सभी विद्यार्थियों को सही तरीके से पढ़ाई का लाभ मिल सके।

पहल से बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार

इस पहल का सबसे प्रत्यक्ष प्रभाव बच्चों के शारीरिक बोझ में कमी के रूप में देखा जा सकता है। भारी बस्ते ढोने से बच्चों की पीठ और कंधों पर जो दबाव पड़ता था, अब उससे उन्हें राहत मिल गई है। इससे उनकी शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ है। जब बच्चे स्कूल में ध्यान से पढ़ाई करते हैं और घर पर भी स्वतंत्र रूप से अध्ययन कर सकते हैं, तो उनकी पढ़ाई में भी सुधार देखा जा सकता है।

प्रेरणा स्रोत बनी यह अनोखी पहल

कवर्धा के शासकीय हाई स्कूल छिरहा की यह पहल जिले और प्रदेश के अन्य स्कूलों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गई है। कई स्कूल इस मॉडल को अपनाने पर विचार कर रहे हैं, ताकि उनके विद्यार्थियों को भी इस प्रकार के लाभ मिल सकें।



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