सिंधी समाज की परंपरा: चोटी बचाने के लिए पाकिस्तान से आए थे, आज भी जनेऊ संस्कार के बगैर नहीं होती शादी

सिंधी समाज की परंपरा: चोटी बचाने के लिए पाकिस्तान से आए थे, आज भी जनेऊ संस्कार के बगैर नहीं होती शादी

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मध्य प्रदेश के ग्वालियर में कमेटी के चेयरमैन संतोष वाधवानी ने बताया कि जनेऊ संस्कार का कार्यक्रम 13 अप्रैल को दोपहर एक बजे आयोजित किया जाएगा। जनेऊ संस्कार के लिए बच्चों का निःशुल्क रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। इस संस्कार पर होने वाला खर्च कमेटी उठाती है।

By Arvind Dubey

Publish Date: Tue, 08 Apr 2025 01:37:32 PM (IST)

Updated Date: Tue, 08 Apr 2025 11:50:02 PM (IST)

सिंधी समाज की परंपरा: चोटी बचाने के लिए पाकिस्तान से आए थे, आज भी जनेऊ संस्कार के बगैर नहीं होती शादी
सिंधी समाज में यज्ञोपवीत की परंपरा (फाइल फोटो)

HighLights

  1. ग्वालियर में होगा 300 बच्चों को यज्ञोपवीत संस्कार
  2. वृंदावन से बुलाई गई विशेष पोशाक पहनाई जाएगी
  3. नि:शुल्क भोजन, समाज के 45 लाख रु. की बचत होगी

नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर: चोटी और जनेऊ सनातन धर्म के प्रतीक हैं। राष्ट्र का विभाजन होने के बाद सिंधी समाज के लोग इन्हीं की रक्षा के लिए पाकिस्तान से अपना घर व व्यवसाय छोड़कर पलायन कर आए थे।

आज के दौर में भी इस संस्कार की सिंधी समाज में काफी मान्यता है। इस संस्कार को पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंचाने के लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित पूज्य सिंधु हिंदू जनरल पंचायत की पंगति सुधार कमेटी वैशाखी पर 13 अप्रैल को सामूहिक जनेऊ संस्कार दानाओली स्थित झूलेलाल मंदिर के पास पंचायत कार्यालय में आयोजित करेगी। यह क्रम पिछले 25 वर्षों से चला आ रहा है।

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हर की पौड़ी से मंगाया गंगाजल और वृंदावन से पोशाक

  • कमेटी का दावा है कि इस वर्ष 300 के लगभग बच्चों का जनेऊ संस्कार परंपरागत रूप सारस्वत ब्राह्मण मंडल द्वारा विधि विधान के साथ कराया जाएगा। इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं।
  • सिंधु वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष विजय वलेचा ने सामूहिक जनेऊ संस्कार की शुरुआत पंचायत के मुखिया श्रीचंद वलेचा ने 25 वर्ष पूर्व की थी, जो कि अनवरत रूप से जारी है। जनेऊ संस्कार के लिए हरिद्वार की हर पौढ़ी से पवित्र गंगाजल मंगाया जा रहा है।
  • इसके साथ ही जनेऊ धारण करने वाले बच्चों को भगवान श्रीकृष्ण के रूप सजाने की परंपरा है। इसलिए मथुरा-वृंदावन से उनकी दीर्घायु की कामना के साथ यह पोशाक भी मंगाई गई हैं। बैंड-बाजों के साथ यज्ञोपवीत संस्कार कराया जाएगा।
  • यज्ञोपवीत संस्कार में जनेऊ धारण करने वाले बच्चों को टावल के साथ अंडरगारमेंट, वृंदावन से मंगाई पोशाक और एक मिठाई का डिब्बा दिया जाता है। यज्ञोपवीत संस्कार सनातन धर्म में काफी महत्व रखता है,इसलिए बच्चे के परिवार व नाते रिश्तेदारों के लिए निशुल्क भोजन की व्यवस्था की जाती है।

समाज के 45 लाख रुपये की बचत होगी

जनेऊ संस्कार परिवार में आयोजित करने पर 15 से 20 हजार रुपये खर्च आता हैं। कुछ परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण सामूहिक जनेऊ संस्कार कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। इस बार समाज के 300 के लगभग बच्चों के सामूहिक जनेऊ संस्कार होने की संभावना हैं। इससे समाज के लोगों का 45 लाख रुपया और जनेऊ के लिए सामान जुटाने में समय बचेगा।



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